एक छोटी सी कविता इस दीपावली के मौके पर आपके लिए प्रस्तुत करता हूं.
जो सिर्फ एक मन की सोच, अनदेखी और सच्चाई से दूर है...
एक सुंदर वाटिका जो मंदिर में बदल गई कुछ चंद अच्छे लोगों की उपस्थिति के कारण.
एक वन जो कभी छाया भी न देता था आज वो फल और फूलों से सराबोर है सिर्फ इस मंदिर के निकट होने के कारण.
पंछी गीत गाने लगे इस वन के ऐसे वातावरण के कारण!
किसी ब्राह्मणी को इस मंदिर की देखभाल का कार्य सौंप दिया जो बाद में इस ब्राह्मणी के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
एक बार अनजाने में किसी ने पूछा कि ब्राह्मणी के मंदिर का क्या हाल है फिर बात जब ब्राह्मणी तक पहुंची तो उनका जवाब कुछ इस प्रकार था....!
भक्तों की टोली में आया उछाल है.
पंडित का चयन ये नया बवाल है!
मन्नतें हो रहीं पूरी ये भी मिसाल है.
सेवा में हृदय कितना विशाल है!
इतनी सुंदरता, ये किसका कमाल है.
ये देख भक्त हो रहे निहाल है!
भला हो सबका तो जलती मशाल है.
ये देख कर गुरु हो गए दयाल है!
भजन में गाता एक बड़ा कव्वाल है.
और चंदा है कितना ये भी सवाल है!!
ब्राह्मणी के मंदिर का बस ये ही हाल है!!!
🎇 Happy Diwali 2025 🎇
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